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Greta Thunbergs will arrest 'climate emrgency'

तीन जनवरी दोहज़ार तीन को स्वीडन में जन्मी युवती ग्रेटा थन्बर्ग को 'ग्लेमर वोमेन आफ द ईयर २०१९ 'एवार्ड से नवाज़ा गया है इतना ही नहीं इन्होनें अंग्रेजी शब्दकोष 'कोलिन्स' को २०१९ का सबसे ज्यादा जनप्रिय वाक्य प्रयोग 'क्लाइमेट स्ट्राइक ' दिया है। यह आकस्मिक नहीं है इसी साल एक सौ तरेपन (१५३ )देशों के ग्यारह हज़ार से भी ज्यादा साइंसदानों ने 'ग्लोबल क्लाइमेट एमरजेंसी 'हमारे हवा -पानी ( जलवायु) के बिगड़ते मिज़ाज़ को लेकर चेतावनी प्रसारित करते हुए कहा है -यह एक आसन्न आपात काल है इससे बचने के लिए हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने होंगे।

 जहां बढ़ती आबादी को लगाम लगाना पड़ेगा वहीँ बढ़ते मांस भक्षण को कमतर करना प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत को भीअब ज़रूरी है वहीँ  वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदार में इज़ाफ़ा करना होगा। भारत ने इस दिशा में अच्छी और अनुकरणीय पहल की है खास करके सौर -ऊर्जा क्षेत्र। सब को पेट भर भोजन रहने को आवास भी पीने को पानी मुहैया करवाना आलमी स्तर पर बर्फ़ के बिछौने के पिघलने को थामना भी   ज़रूरी है। इस सबको  हासिल करने के लिए जीवाश्म ईंधन का कायम रहने लायक विकल्प भी ज़रूरी है वरना पीने का साफ़ पानी कहाँ से आएगा। बढ़ते सतह के तापमान , के कटान को लगाम लगाना पचास साल पहले के मुकाबले अब बेहद ज़रूरी है। अमेज़न के वर्षा  वन हों या देहरादून जंगल अब और गुंजाइश नहीं  है इनके विनष्ट होते चले जाने की।

भारत के सन्दर्भ में अब मौसिम का मानसून का मिज़ाज़ बदलने लगा है।दिल्ली भला चेर्नोबिल क्यों न बने  जहां पानी की तंगी वहांउत्तर भारत के दिल्ली से सटे राज्यों में  धान की सरकारी खरीद और आपातकालीन स्टॉक को  बढ़ावा ,सरकारी इमदाद देना क्यों ज़ारी है? स्टबिल(धान के काटने के बाद कम्बाइन हार्वेस्टर से बचा तनेका का  हिस्सा ) को ठिकाने लगाने के लिए झूम खेती जैसा आदिम तरीका दिल्ली की साँसों पे भला भारी क्यों न पड़े ?मौसिम पे न  पे हवाओं के रूख और नमी पे  किसी का ज़ोर  है।अलबत्ता पर्यावरणसम्मत हैपी सीडर ,ज्यादा हॉर्स पावर (४५hp )ट्रेकटर पराली को समेटके उसे मन्योर के लिए सहेज सकते हैं। यहां सरकारी इमदाद चाहिए। मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी पानी की खपत भी कम होगी।प्रति एकड़ उत्पाद भी नहीं कम होगा।
भारत के पास दिमाग की कमी नहीं है लोकप्रिय कदम मुफ्त बिजली पानी  देने से कुछ नहीं होने वाला है। भूजल और नीचे तल पर आएगा।       
दुनिया भर में सबसे ज्यादा हवाई उड़ाने संभालने का रिकार्ड दिल्ली अपने नाम किये रही है.हवाई ईंधन (एविएशन फ्यूल की खपत )यहां पैसिंजर लोड बढ़ने से बढ़ रहा है।

भूमंडलीय स्तर पर इन्हीं तमाम  वजहों  से सागरों में समाहित गर्मी ,ग्लोबल सतह का तापमान केलिफोर्निया की अप्रत्याशित दौर तक ज़ारी जंगलात की आग  , सागरों का तेज़ाबी होना बढ़ रहा है  .ग्रीन हाउस गैसों का जमाव बढ़ रहा है। अमरीका कुल मिलाकर बेहद का झुलस रहा है। पीटते रहिये सकल घरेलू उत्पादों का ढिंढोरा। ग्रेटा थन्बर्ग ही अब आगे आएँगी। कमान नौनिहाल थामेंगे रोकेंगे जलवायु ढाँचे का बे -दिली से टूटने देना। इसमें हमें ज़रा भी सन्देह नहीं है। 

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