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हमारा मानना इस मर्तबा भी अप्रत्याशित कुछ भी नहीं होगा ,मात्र कयास होता है -ऐसा ऐसा भी हो सकता है ,स्टेटिस्टिकल फिनोमिना की प्रायिकता तो व्यक्त की जाती है सुनिश्चित यहां कुछ नहीं होता है -प्रेक्षणीय विज्ञान की अपनी सीमाएं हैं कुदरत के अपने खेल है। खगोल विज्ञान एक ऑब्ज़र्वेशनल साइंस है। प्रेक्षण सौ फीसद शुद्ध नहीं हो पाता ,प्रेक्षण तामझाम ही विक्षोभ पैदा करने की क्षमता रहते हैं।


नासा का दावा -चार दिन बाद पृथ्वी से टकरा सकता है एस्टेरोइड ५०,००० किलोमीटर प्रति घंटे है रफ़्तार 

 साल 2020 कई बड़ी घटनाओं के लिए याद किया जाएगा। इस साल की शुरूआत में कोरोना महामारी आई, जिसकी वजह से लाखों लोगों की जान अब तक जा चुकी है। वहीं दो-तीन बड़े एस्टेरॉयड भी पृथ्वी के पास से गुजर चुके हैं। जिनको लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। अब फिर एक बड़ा एस्टेरॉयड तेजी से धरती की ओर आ रहा है। जिसकी पृथ्वी से दूरी को लेकर वैज्ञानिक परेशान हैं।

6 सितंबर को टकराने की आशंका नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक ये एस्टेरॉयड भारतीय समयानुसार 6 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे धरती के वायुमंडल से टकरा सकता है। नासा ने इसका वैज्ञानिक नाम 465824 (2010FR) रखा है, जबकि आमभाषा में इसे अपोलो एस्टेरॉयड कहा जा रहा है। 2010 में इसकी खोज वैज्ञानिकों ने कर ली थी, जिसके अब धरती से टकराने की आशंका है। इसका आकार गीजा के पिरामिड से दोगुना बड़ा बताया जा रहा है।

वैज्ञानिकों के मत अलग वहीं दूसरी ओर सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्टस (CNEOS) के वैज्ञानिकों का मानना है कि बाकी एस्टेरॉयड की तरह ये धरती के बगल से गुजर जाएगा। जिस वजह से धरती को कोई खतरा नहीं होगा, लेकिन नासा के दावे को देखें तो ऐसा लग रहा है कि ये पृथ्वी के वायुमंडल से टकरा सकता है, क्योंकि उन्होंने इसके टकराने की टाइमिंग भी बता दी है। नासा के मुताबिक इसके पृथ्वी के बगल से गुजरने की भी संभावना है, लेकिन वायुमंडल में घुसकर निकलने की प्रक्रिया काफी खतरनाक हो सकती है। इसके पीछे का तर्क ये है कि अगर ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की जद में आ गया तो समुद्र या जमीन से तेज रफ्तार से टकराएगा।

कितनी है लंबाई? रिपोर्ट के मुताबिक इस एस्टेरॉयड की लंबाई 886 फीट और चौड़ाई 885.82 फीट है। साथ ही ये 14 किलोमीटर प्रति सेकेंड यानी 50,533 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर आ रहा है। नासा के वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि 100 साल में एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं। जो कुछ ही मीटर के एस्टेरॉयड होते हैं वो वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं, लेकिन बड़े एस्टेरॉयड धरती पर गिरने के बाद नुकसान पहुंचा सकते हैं।

पिछले महीने भी गुजरा था एस्टेरॉयड पिछले महीने एसयूवी के आकार का एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के पास से गजुरा था। वो अभी तक धरती के सबसे नजदीक से गुजरने वाला एस्टेरॉयड था। नासा के मुताबिक उसका नाम 2020 QG था, जो हिंद महासागर के 1,830 मील (2,950 किलोमीटर) की ऊंचाई से होकर गुजरा। अगर ये पृथ्वी से टकराता तो भी किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं थी।

विशेष :हमारा मानना इस मर्तबा भी अप्रत्याशित कुछ भी नहीं होगा ,मात्र कयास होता है -ऐसा ऐसा भी हो सकता है ,स्टेटिस्टिकल फिनोमिना की प्रायिकता तो व्यक्त की जाती है सुनिश्चित यहां कुछ नहीं होता है -प्रेक्षणीय विज्ञान की अपनी सीमाएं हैं कुदरत के अपने खेल है।
खगोल विज्ञान एक ऑब्ज़र्वेशनल साइंस है। प्रेक्षण सौ फीसद शुद्ध नहीं हो पाता ,प्रेक्षण तामझाम ही विक्षोभ पैदा करने की क्षमता रहते हैं।   

 https://hindi.oneindia.com/news/international/apollo-asteroid-may-enter-earth-orbit-on-september-6/articlecontent-pf308863-577477.html

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