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Showing posts from December, 2019

what is internet emission or internet carbon footprint ?

what is internet emission or internet carbon footprint ? किसी भी चीज़ को काम करने के लिए एनर्जी चाहिए क्या आप भूखे पेट काम कर सकते हैं ?कहा भी गया है -भूखे भजन न होय गोपाला ,ये ले अपनी कंठी माला। ज़ाहिर है इंटरनेट को भी काम करने के लिए ब्राउज़र से सर्च इंजिन को कामकाजी बनाने के लिए एनर्जी चाहिए -बिजली चाहिए। इंटरनेट की बैटरी चंद घंटे ही एक बार चार्ज करने पर काम करती है फिर उसे भी चार्ज करना पड़ता है। भले अब गूगल क्रोम बुक या  आलादर्ज़े के हल फुलके उठाऊ लेप टॉप चलन में हैं लेकिन सबको ऊर्जा चाहिए। परपिचुअल मोशन मशीन इज़ ए होली ग्रेल ऑफ़ फ़िज़िक्स। ज़ाहिर है इंटरनेट का अपना कार्बन फुट प्रिंट कार्बन एमीशन या कार्बन  उत्सर्जन है अनुमान लगाया गया है एक वेब सर्च का मतलब है एक केतली पानी गर्म करने के बराबर बिजली खा जाना  आखिर इलेक्ट्रिक केटिल आज एक आम इस्तेमाल की चीज़ बन गई है झटपट पानी गर्म करने का। नेस्ले मिल्क और टी बैग्स  और बस थोड़ी सी शक्कर (जेग्गरी पाउडर )और बेहतरीन ज़ायकेदार चाय तैयार इस सर्द मौसम में राहत। Every time i use the search engine i emit green house gas carbon dioxide. अब भले ये फ

View of night sky is under threat ,warn astronomers(Hindi ):फास्ट इंटरनेट लेकिन किस कीमत पर

फास्ट इंटरनेट लेकिन किस कीमत पर  विज्ञानियों ने पता लगाया है उपग्रह निगम २०२० के लगते ही हज़ारों माइक्रो -सैटेलाइट्स पृथ्वी के निकट कक्षा में स्थापित करने का मन बना चुकें हैं। बेशक इससे अंतरिक्ष आधारित तेज़तर्रार इंटरनेट सेवाएं मिलने लगेंगी लकिन इसकी खगोल विदों को भारी कीमत चुकानी पड़  सकती है।हों की  एक औसत मेज़ के आकार के ये उपग्रह नाइट स्काई लाइन को बाधित कर सकते हैं। ये बड़े पैमाने पर रेडिओ फ्रीकवेंसीज़ काम में लेंगे। बचपन में आपने भी खुले आकाश की छत के नीचे आसमान के तारे गिनने की होड़ में खुद को शरीक किया होगा। कहीं हज़ारों उपग्रहों की यह श्रृंखला (एक पूरा नेटवर्क )एक त्रासदी की सृष्टि न कर देवे ऐसी आशंका वर्तमान खगोल विज्ञान के माहिरों ने अभिव्यक्त की है ,ये एक बड़ा उपग्रह नेटवर्क होगा जो उस खिड़की को झरोखे को बाधित कर सकता है जो हमें शेष सृष्टि के होने की खबर देती है उसी विंडो में ये उपग्रह कड़ी व्यतिरेक पैदा कर सकती है। इंटरफेयर कर सकती है उस खिड़की को।  प्रकाशीय दूरबीनों से प्राप्त इमेजेज को भी इनमें प्रयुक्त आवृत्तियाँ विघटित (विच्छिन्न )कर सकतीं हैं। विघ्न पैदा कर सकतीं हैं इनमें। 

UK lesbian couple creates history with 2-womb baby

महाभारत में कहा गया है : यन्न भारते !तन्न भारते !अर्थात जो महाभारत में नहीं है वह अन्यत्र भी नहीं है।ज़ाहिर है अभी जेनेटिक्स भी उन ऊंचाइयों को स्पर्श नहीं कर सकी हैं जो यहां वर्णित हैं।    पुराणों में जो कहा गया है वह शुद्ध भौतिक विज्ञानों का निचोड़ भी हो सकता है ,सारतत्व भी। ज़रूरी नहीं है वह महज़ मिथ हो और चंद लेफ्टिए मिलकर उसका मज़ाक बनाते  उपहास करते फिरें । मसलन अगस्त्य मुनि को 'घटसम्भव' कहा गया है। 'कुंभज' और 'घटयौनि' भी 'कलशज :' भी ; एक ही अभिप्राय है इन  पारिभाषिक नामों का जिसका जन्म घड़े से कलश से हुआ है वही अगस्त्य है सप्तऋषि मंडल का शान से चमकने वाला कैनोपास (Canopus )ही अगस्त्य है जो लुब्धक (sirius)के बाद दूसरा सबसे चमकीला ब्राइट स्टार है।  गांधारी के बारे में कहा जाता है जब उसे पता चला कुंती एक बच्चे को उससे पहले जन्म देने वाली है (युधिष्ठिर महाराज ज्येष्ठ पांडव उस समय कुंती के गर्भ में ही थे )उसने ईर्ष्या वश अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण के मुष्टि प्रहार से सौ टुकड़े कर दिए यही सौ कौरव बनकर आये। एक ही फर्टिलाइज़्द ह्यूमेन एग के मुष्टि प्रहार से व

Chandrayaan-2: Chennai-based Engineer Helps NASA Locate Vikram Lander

Chandrayaan-2: Chennai-based Engineer Helps NASA Locate Vikram Lander By  TWC India Edit Team 2 days ago TWC India This image shows the Vikram Lander impact point and associated debris field. Green dots indicate spacecraft debris (confirmed or likely). Blue dots locate disturbed soil, likely where small bits of the spacecraft churned up the regolith. "S" indicates debris identified by Shanmuga Subramanian. (Credits: NASA/Goddard/Arizona State University) The US space agency NASA has finally confirmed the discovery of the debris of Chandrayaan-2’s Vikram Lander, which crash-landed on the lunar surface on September 7, 2019. The debris has been spotted about 750 meters northwest of the main crash site by an Indian engineer. In its hunt for Vikram, NASA’s Lunar Reconnaissance Orbiter (LRO) had performed a fly-by over the designated landing site and acquired pictures of the lunar surface on September 17. The images were later released to the public