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Showing posts from November, 2019

विज्ञान का कृष्ण पक्ष :Cimate Emergency

 Climate Change a Myth and Or Realty ?    बिला शक जलवायु परिवर्तन हमारी हवा ,पानी और मिट्टी में मानवीयक्रियाकलापों (करतूतों और कुदरत के साथ किये गए हमारे सौतिया व्यवहार )द्वारा पैदा बदलाव की गवाही दृष्टा भाव से देखे जाने के साक्षी एकाधिक संस्थान सरकारी गैरसरकारी संगठन बन रहे हैं। इनमें शरीक हैं : (१ )इंटरगावरनमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज बोले तो जलावायु में आये बदलाव से सम्बद्ध  अंतर् -सरकारी (शासकीय) पैनल (२ )जैव वैविध्य और पारि -तंत्रीय सेवाओं से जुड़ा - इंटरगावरनमेंटल साइंस पॉलिसी प्लेटफॉर्म  (३ )जलवायु केंद्रीय जन-नीति  शोध संस्थान इत्यादि सभी ने समवेत स्वर एकराय से साफ -साफ़ माना है और बूझा भी है ,हमारा प्रकृति प्रदत्त पर्यावरण तंत्र  कुदरती (प्राकृत हवा पानी मिट्टी ) और तमाम पारितंत्र (इकोलॉजिकल सिस्टम्स )एक- एक करके लगातार दरकते -टूटते रहें हैं। इनके खुद को बनाये रखने ,साधे रहने की संतुलित बने रहने की कुदरती कूवत चुक गई है। इसी के चलते अनेक प्राणी -प्रजातियां अब विलुप्त प्राय : हैं कितनी ही अन्य प्रजातियां रेड डाटा बुक में जगह बना चुकीं हैं इनके इक्का दुक्का चिन्ह ही अब दि

Greta Thunbergs will arrest 'climate emrgency'

तीन जनवरी दोहज़ार तीन को स्वीडन में जन्मी युवती ग्रेटा थन्बर्ग को 'ग्लेमर वोमेन आफ द ईयर २०१९ 'एवार्ड से नवाज़ा गया है इतना ही नहीं इन्होनें अंग्रेजी शब्दकोष 'कोलिन्स' को २०१९ का सबसे ज्यादा जनप्रिय वाक्य प्रयोग 'क्लाइमेट स्ट्राइक ' दिया है। यह आकस्मिक नहीं है इसी साल एक सौ तरेपन (१५३ )देशों के ग्यारह हज़ार से भी ज्यादा साइंसदानों ने 'ग्लोबल क्लाइमेट एमरजेंसी 'हमारे हवा -पानी ( जलवायु) के बिगड़ते मिज़ाज़ को लेकर चेतावनी प्रसारित करते हुए कहा है -यह एक आसन्न आपात काल है इससे बचने के लिए हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने होंगे।  जहां बढ़ती आबादी को लगाम लगाना पड़ेगा वहीँ बढ़ते मांस भक्षण को कमतर करना प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत को भीअब ज़रूरी है वहीँ  वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदार में इज़ाफ़ा करना होगा। भारत ने इस दिशा में अच्छी और अनुकरणीय पहल की है खास करके सौर -ऊर्जा क्षेत्र। सब को पेट भर भोजन रहने को आवास भी पीने को पानी मुहैया करवाना आलमी स्तर पर बर्फ़ के बिछौने के पिघलने को थामना भी   ज़रूरी है। इस सबको  हासिल करने के लिए जीवाश्म ईंधन का कायम रहने लायक विकल्

Stop Passing the Buck onto chief ministers of other satates kejriwal sir

Mr Kejriwal sir ,pl stop politising an economic issue and passing the buck on to Panjab and Haryana CMs.You are giving a subsidy of nearly 200 croroes to DTC to meet free ride expanses.The cost of a Happy Seeder is in between Rs44,000-2.5 lac which a farmer can hardly spend.There are literally no kulks (so called rich farmers as the term resonates)even in Panjab and Haryana .UP is bucking the trend .The size of Individual Khet or Jot or land under  cultivation is small here and labor is cheap ,so paddy harvesting and seeding is labor intensive here as against combine harvesters in Panjab and Haryana owned by some farmers .At presnet both these states are extending 33%subsidies on Happy seeder machhines which work in tendem with disel operated Tractors.Khattar and Captain Amarinder Singh Ji can take the initiative of landing community Happy Seeder which the farmers can use like a day night match 24x7 for a fortnight in turn in a village . Kejri wal sahb can do the same in the NCR regio