Climate Change a Myth and Or Realty ? बिला शक जलवायु परिवर्तन हमारी हवा ,पानी और मिट्टी में मानवीयक्रियाकलापों (करतूतों और कुदरत के साथ किये गए हमारे सौतिया व्यवहार )द्वारा पैदा बदलाव की गवाही दृष्टा भाव से देखे जाने के साक्षी एकाधिक संस्थान सरकारी गैरसरकारी संगठन बन रहे हैं। इनमें शरीक हैं : (१ )इंटरगावरनमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज बोले तो जलावायु में आये बदलाव से सम्बद्ध अंतर् -सरकारी (शासकीय) पैनल (२ )जैव वैविध्य और पारि -तंत्रीय सेवाओं से जुड़ा - इंटरगावरनमेंटल साइंस पॉलिसी प्लेटफॉर्म (३ )जलवायु केंद्रीय जन-नीति शोध संस्थान इत्यादि सभी ने समवेत स्वर एकराय से साफ -साफ़ माना है और बूझा भी है ,हमारा प्रकृति प्रदत्त पर्यावरण तंत्र कुदरती (प्राकृत हवा पानी मिट्टी ) और तमाम पारितंत्र (इकोलॉजिकल सिस्टम्स )एक- एक करके लगातार दरकते -टूटते रहें हैं। इनके खुद को बनाये रखने ,साधे रहने की संतुलित बने रहने की कुदरती कूवत चुक गई है। इसी के चलते अनेक प्राणी -प्रजातियां अब विलुप्त प्राय : हैं कितनी ही अन्य प्रजातियां रेड डाटा बुक में जगह बना चुकीं हैं इनके इक्का दुक्का चिन्ह ही अब दि