यूनिसेफ के एक अनुमान के अनुसार इस साल के अंत यानी कोरोना लोकडाउन की अवधि मार्च से दिसंबर २०२० तक में भारत में कुल दो करोड़ शिशु अवतरित हो जाएंगे। ज़ाहिर है आँख खोलते ही इस दुनिया से उनका तार्रुफ़ बे -मज़ा बे रौनक रह सकता है। भगवान् करे ऐसा न हो लेकिन संभावना शून्य नहीं कोरोना की प्रेत छाया इन निष्पाप निर्बोध शिशुओं पर भी पड़ भी पड़ सकती है। कुल ३८ कोरोना मरीज़ों पर जनवरी -फरवरी २०२० में संपन्न एक चीनी अध्ययन में माहिरों ने इनसे जुटाए गए स्पर्म (शुक्राणओं )की बारीकबीनी जांच करने पर तकरीबन १६ फीसद में सार्स -कोव -२ की पुष्टि की है। इनमें से तकरीबन ९ फीसद संक्रमण की एक्यूट स्टेज में तथा शेष रोगमुक्ति की ओर बढ़ रहे थे। संक्रमण मुक्त होने पर भी इनके अंडकोषों में यह विषाणु बना रह सकता है ऐसा माहिरों का मानना है भले ये यौन संबंधों के ज़रिये ट्रांसमिट हो न भी हो।सब कुछ शुभ नहीं है। रोगप्रतिरक्षण के मामले में अंडकोषों को विशेष अधिकारित इम्युनिटी प्राप्त है। इसका कोई पॉज़िटिव अर्थ यहां नहीं है बल्कि यूं कहो इम्मून सिस्टम के प्रहरियों ...