what is internet emission or internet carbon footprint ? किसी भी चीज़ को काम करने के लिए एनर्जी चाहिए क्या आप भूखे पेट काम कर सकते हैं ?कहा भी गया है -भूखे भजन न होय गोपाला ,ये ले अपनी कंठी माला। ज़ाहिर है इंटरनेट को भी काम करने के लिए ब्राउज़र से सर्च इंजिन को कामकाजी बनाने के लिए एनर्जी चाहिए -बिजली चाहिए। इंटरनेट की बैटरी चंद घंटे ही एक बार चार्ज करने पर काम करती है फिर उसे भी चार्ज करना पड़ता है। भले अब गूगल क्रोम बुक या आलादर्ज़े के हल फुलके उठाऊ लेप टॉप चलन में हैं लेकिन सबको ऊर्जा चाहिए। परपिचुअल मोशन मशीन इज़ ए होली ग्रेल ऑफ़ फ़िज़िक्स। ज़ाहिर है इंटरनेट का अपना कार्बन फुट प्रिंट कार्बन एमीशन या कार्बन उत्सर्जन है अनुमान लगाया गया है एक वेब सर्च का मतलब है एक केतली पानी गर्म करने के बराबर बिजली खा जाना आखिर इलेक्ट्रिक केटिल आज एक आम इस्तेमाल की चीज़ बन गई है झटपट पानी गर्म करने का। नेस्ले मिल्क और टी बैग्स और बस थोड़ी सी शक्कर (जेग्गरी पाउडर )और बेहतरीन ज़ायकेदार चाय तैयार इस सर्द मौसम में राहत। Every time i use the search engine i emit green house gas carbon dioxide. अब भले ये फ